मुझे छू रही हैं तेरी गर्म साँसें
मेरे रात और दिन महकने लगे हैं
तेरी नर्म साँसों ने ऐसे छुआ है
कि मेरे तो पाँव बहकने लगे हैं
लबों से अगर तुम बुला ना सको तो
निगाहों से तुम नाम ले कर बुला लो
तुम्हारी निगाहें बहुत बोलती हैं
ज़रा अपनी आँखों पे पलकें गिरा दो
मुझे छू रही हैं...
पता चल गया है कि मंज़िल कहाँ है
चलो दिल के लंबे सफर पे चलेंगे
सफर खत्म कर देंगे हम तो वहीं पर
जहाँ तक तुम्हारे कदम ले चलेंगे
मुझे छू रही हैं...
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