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Saturday, November 8, 2008

हौसला

मै नहीं मानता हूँ
कि कैद परिंदे के पंखो के थपेडे से -लोहे की दीवार पर कोई असर नहीं होता
कि हथेली के प्रहार से -पत्थर टूट नहीं सकता
कम से कम
चोट खायी हथेली के खून से
पत्थर तर - बतर हो सकता है
और
पिंजरे के इर्द- गिर्द टूटे पंखो का
अम्बार इकट्ठा हो सकता है
और जब
आगामी पीढी आए तो देखे
कि
पत्थर बेदाग नही बचा है
परिंदा चुपचाप नही मरा है ।
साभार

2 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखा है...पर ये अंत में साभार क्यों? क्या किसी और का है?

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  2. nice uncle....very motivating...by the way i am swastik's friend

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