Friday, October 24, 2008
मेरा प्यार
मै तुम्हे इतना प्यार करता हूँ
जितना जड़े मिटटी से प्यार करती है
जितना चिडिया खुले आकाश से
और मछलियाँ पानी से प्यार करती है
तुम्हारे जिस्म और मन की गहराई तक
उतरती चली गई है मेरी जड़े
तुम वह धरती हो
जो मुझे धारण करती है -दिंगत की तरह
तुम वह लता हो
जो मुझे सिद्ध करती है
वसंत की तरह
तुम मेरे लिए
धूप की नरम नरम गोद हो
मै तुम्हे इतना प्यार करता हूँ -जितना जड़े मिटटी से प्यार करती है
चिडिया खुले आकाश से
और मछलिया पानी से प्यार करती है - लेकिन वे इसे शब्दों में कहती नही है ।
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