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Sunday, December 5, 2021

तू नज़्म-नज़्म सा मेरेहोंठो पे ठहर जा (बरेली की बर्फी)

तू नज़्म-नज़्म सा मेरे
होंठो पे ठहर जा
मैं ख्वाब ख्वाब सा तेरी
आँखों में जागूँ रे
तू इश्क-इश्क सा मेरे
रूह में आ के बस जा
जिस ओर तेरी शहनाई
उस ओर मैं भागूँ रे

हाथ थाम ले पिया, करते हैं वादा
अब से तू आरज़ू, तू ही है इरादा
मेरा नाम ले पिया, मैं तेरी रुबाई
तेरे ही तो पीछे-पीछे बरसात आई
तू इत्र-इत्र सा मेरे
साँसों में बिखर जा
मैं फ़कीर तेरे कुर्बत का
तुझसे तू मांगू रे
तू इश्क-इश्क सा...

मेरे दिल के लिफाफे में
तेरा ख़त है जाणिया, तेरा ख़त है जाणिया
नाचीज़ ने कैसे पा ली, क़िस्मत ये जाणिया वे
तू नज़्म-नज़्म सा...

हीर नी मेरिये, हीर नी मेरिये
तुझको ही मैं चाहूँ
कोशिशाँ मैं करिए
तुझको भूल ना पाऊँ

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