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Wednesday, June 10, 2009

तर्ज- माइन माई मुंडेर पे तेरी बोल रहा है कागा-

ब्याह -शादी में गाने के लिए इस गीत की रचना की है -----

बन्ना और बन्नी ने इक दूजे का हाथ है थामा
वरमाला पहनाकर इक दूजे को मन से माना
बाजे शहनाई की धुन
तुन तुन तु न न न - तु न न न तुन

दुल्हन के जोड़े में परियो की रानी लगती है
मेरी छोटी सी गुडिया कितनी प्यारी लगती है
दूल्हा चुपके से देखे --------२ दुल्हन तो शर्माए
रूप देख के दुल्हन का वो मन ही मन इतराए
बाजे शहनाई की धुन
तुन तुन तु न न न - तु न न न तुन

लाड प्यार में बचपन बीता और सखियों संग खेली
एक फाँस भी चुभी जो तन में अंखिया अपनी भिगोली
आज वही नन्ही सी लाडो ----२ फेरे लेने आई
मम्मी-पापा से बोले अब घडी विदाई की आई
बाजे शहनाई की धुन
तुन तुन तु न न न - तु न न न तुन

पिया मिलन की मन में चाहत पर मन में व्याकुलता
इक मन पिया के घर में और इक पीहर में है अटकता
छोड़ पुराने रिश्ते नाते -----२ नए निभाने आई
बेटी पराया धन है - ये - रीत क्यूँ है बनाई
बाजे शहनाई की धुन
तुन तुन तु न न न - तु न न न तुन

सात फेरो के सात वचन तू मन से ही अपनाना
सास ससुर की सेवा करना - मायके को न लजाना
ख़ुशी ख़ुशी बन्ने के संग ---२ तू अपना जीवन बिताना
पर इस ख़ुशी की लहरों में मायके को भूल न जाना
बाजे शहनाई की धुन
तुन तुन तु न न न - तु न न न तुन

बन्ना और बन्नी ने इक दूजे का हाथ है थामा
वरमाला पहनाकर इक दूजे को मन से माना
बाजे शहनाई की धुन
तुन तुन तु न न न - तु न न न तुन
रचयिता -राजू बगडा